The Voiceless Soliloquy
Friday 22 February 2019
सिगरेट
तसव्वुर में जिनके हम
कश लगाया करते थे
धुएँ के छल्लों से जिनका
अक़्स बनाया करते थे
आज वो नहीं हैं ज़हन में
बस यादें हैं धुंधली सी
कंधे हैं कुछ भारी से
इक सिगरेट है अध-जली सी…
(अनुराग शौरी)
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