Tuesday 9 October 2018

AUCTOR (WRITER)



 
The bleeding quill, the oozing words
My only friends over the years
Essential for my existence
Like air and water-smiles and tears.
My shepherds across tortuous lanes
Through thick and thin- applause and jeers.
Custodians of my darkest secrets
Keepers of my deepest fears.

(Anurag Shourie)

Tuesday 2 October 2018

फूल






मेरे छूने से अब तू
 फूल सी खिलती नहीं है
तेरे होंठों पे हँसी
ढूंडे से मिलती नहीं है
शमा जलती है शब भर
रूह पिघलती नहीं है
क्यों तुझे ये दूरी
मुसलसल खलती नहीं है
मेरे छूने से अब तू
 फूल सी खिलती नहीं है
(अनुराग शौरी)

रातें



 
आज अगर मैं सो जायुं
क्या जागती रातों का हिसाब होगा
टूटे तारों के सवालों का
क्या चाँद के पास जवाब होगा
लहू रिस रिस के बह गया
अब ये दिल  न खाना खराब होगा
तन्हाई है मंज़ूर मुझे
 गवारा न तेरा शबाब होगा
(अनुराग शौरी)

Tuesday 11 September 2018

शहर




आगोश में तेरे रात कटे
ज़ुल्फ़ों में हर सहर हो
शाम हो धुंधले सायों सी
और भीगी सी दोपहर हो
होंठों से अब्र सा बरसे
मीठा सा इक ज़हर हो
बसर जहाँ हो ज़िंदगी
तेरी आँखों में इक शहर हो
                 (अनुराग शौरी)

Saturday 14 July 2018

“तलाश”







हर भोर, नई इक हलचल
हर रात, मेरा मन बेकल
तलाश है जिस की हर पल
है प्यार या फिर कोई छल...

बहते झरने की कल-कल
बदली से  लिपटता बादल
कत्थई आँखों का काजल
स्नेह सज्जित इक आँचल

तलाश है जिस की हर पल
है प्यार या फिर कोई छल...

                    (अनुराग शौरी)