Friday 24 February 2017

सौदा...


वो बेफिक्री भरी जवानी
इस दिल की हर मनमानी 
मेरे हिस्से की धूपकच्ची सी
बारिश में बरसता पानी

कुछ ख्याल, आज़ाद से
यारों संग बातें रूमानी
मेरी कविताएँ, मेरे गीत
जो कभी याद थे ज़ुबानी

इक महफूज़ छत के लिए
सब का सौदा कर लिया
ज़िंदगी बन के रह गयी
‘नौ से पाँच’ की कहानी
                  (अनुराग)






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