Tuesday 7 February 2017

एहसास...



एहसास


जो तुम मानो, तो मैं तुम्हारा
ना समझो, तो इक वहंम सही
वो सपना जो अधूरा रहा
तुम्हारी ज़िद, तुम्हारा अहम् सही

काँच की तीखी नोक सरीखा
सुलगते सीने की खलिश सही
जो रो दो तो इक चीख हूँ मैं
गा लो…तो इक बंदिश सही
                  (अनुराग)


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