‘गुलज़ार’
जैसी शायरी
मुझसे
ना हो पाएगी
ना
‘शिव’ की ही तर्ज़ पर
‘लूना’
लिखी जाएगी
‘ग़ालिब’
का अंदाज़-ए-ब्यान
मेरे
बस की बात नहीं
अल्फाज़ों
से तस्वीर बने
इतनी
मेरी औकात नहीं
लिखता
हूँ जज़्बातों से
जब
ये मन भर जाता है
हर
आँसू जो बहा नहीं
इक
कविता कहलाता है
(अनुराग
शौरी)
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