तुम्हारे हुस्न का मुरीद हूँ,
ऐलान किया उसने तपाक से
ना समझा उस इनकार को,
ना समझा उस इनकार को,
जो सॉफ झलका मेरी आँख से
प्यार तब्दील हुआ नफ़रत में,
प्यार तब्दील हुआ नफ़रत में,
उसका वास्ता छूटा अख़लाक़ से
बस फेंक दिया मेरे चेहरे पे,
बस फेंक दिया मेरे चेहरे पे,
इक बोतल तेज़ाब “छपाक” से
मेरी शक्लो-सूरत बिगाड़ दी,
मेरी शक्लो-सूरत बिगाड़ दी,
ज्यों फूल सना हो खाक से
जुड़ गया नाता मेरा,
जुड़ गया नाता मेरा,
इक दर्दनाक फिराक़ से
पर डटी रही मैं आँधी में,
पर डटी रही मैं आँधी में,
इक पत्ता चिपका ज्यों शाख से
तआरुफ़ मेरा हुआ,
तआरुफ़ मेरा हुआ,
अपनी रूह सॉफ पाक से
यकीन मुझे है फिर उड़ूँगी,
यकीन मुझे है फिर उड़ूँगी,
जैसे वो पंछी उठता है राख से
(अनुराग शौरी)
(अनुराग शौरी)
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