वो बेफिक्री भरी जवानी
इस
दिल की हर मनमानी
मेरे
हिस्से की धूप, कच्ची
सी
बारिश में बरसता
पानी
कुछ ख्याल, आज़ाद से
यारों संग बातें रूमानी
मेरी कविताएँ, मेरे
गीत
जो कभी याद थे ज़ुबानी
इक महफूज़ छत के लिए
सब का सौदा कर लिया
ज़िंदगी बन के रह गयी
‘नौ से पाँच’ की कहानी
(अनुराग)
wow
ReplyDeleteWaah
ReplyDeleteThank you, Sir.
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