लबों तक जो नहीं आते
वो अल्फ़ाज़
कहाँ जाते हैं?
जिनके तारों में
गीत नहीं
वो साज़
कहाँ जाते हैं?
सफ़र भी
है, मंज़िल भी है
इक लंबा
सा रास्ता भी
हवायें ना ख़ुशगवार बहें
पंछी परवाज़ कहाँ पाते
हैं?
छोटा ही सही, इक किस्सा हो
माज़ी का एहम इक हिस्सा हो
लिखना मगर ना मुमकिन
हो
बयान-ए-अंदाज़ कहाँ जाते
हैं?
(अनुराग)
Wow
ReplyDeleteThanks...
DeleteDil ki baat rahay dil mein
ReplyDeleteLafzo'n ka kya aitbaar,
Jo chalay gaye rooth kar...
Vo hazar dafa mananay pe bhi kahan aatay hain
Beautiful lines.
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