The Voiceless Soliloquy
Tuesday, 2 October 2018
फूल
मेरे छूने से अब तू
फूल सी खिलती नहीं है
तेरे होंठों पे हँसी
ढूंडे से मिलती नहीं है
शमा जलती है शब भर
रूह पिघलती नहीं है
क्यों तुझे ये दूरी
मुसलसल खलती नहीं है
मेरे छूने से अब तू
फूल सी खिलती नहीं है
(अनुराग शौरी)
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