Saturday, 14 July 2018

“तलाश”







हर भोर, नई इक हलचल
हर रात, मेरा मन बेकल
तलाश है जिस की हर पल
है प्यार या फिर कोई छल...

बहते झरने की कल-कल
बदली से  लिपटता बादल
कत्थई आँखों का काजल
स्नेह सज्जित इक आँचल

तलाश है जिस की हर पल
है प्यार या फिर कोई छल...

                    (अनुराग शौरी)

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