Wednesday, 21 February 2018
Thursday, 15 February 2018
Wednesday, 14 February 2018
"बदलाव"
वक़्त बदल रहा है, दौर बदल रहा है
जीने-मरने का, इश्क़ का, तौर बदल रहा है
हवा है कुछ ज़हरीली, पानी का रंग है मैला
मुँह में जाने वाला हर कौर बदल रहा है
शर्मिंदा सी कलियाँ, तितली है सहमी सी
बाग उजड़ रहे हैं, बौर बदल रहा है
जानवर से इंसान, फिर
जानवर से बदतर
अब कौन कसर है बाकी, जो और बदल रहा है?
(अनुराग शौरी)
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