Wednesday, 21 February 2018

"वक़्त "









बीत चुका है वो लम्हा
गुज़र जाएगा ये पल भी

ना संग रही कल की घड़ियाँ
बेवफा, आनेवाला कल भी

ये वक़्त सरकता  जाएगा
है रेत सा, कभी जल भी

तू भी बह जा, बदली बन जा
छू अंबर, चूम धरातल भी

                         (अनुराग शौरी)

Thursday, 15 February 2018

"सनम"






 
थाम ले गर तू हाथ सनम
मेरा निगहबान हो जाए
हर सुबह हो उम्मीद भरी
और रात मेहरबान हो जाए

अरसे से चलता आया हूँ
तन्हा, खुद अपना साया हूँ
जो दो पग तेरे संग हों तो
रास्ता भी गुलिस्ताँ हो जाए

अल्फाज़ों में खलिश सी है
मेरे शेरों मे रंजिश सी है
तू बन जाए संगीत अगर
मेरी नज़म दास्तान हो जाए

                     (अनुराग शौरी)

Wednesday, 14 February 2018

"बदलाव"






वक़्त बदल रहा है, दौर बदल रहा है
जीने-मरने का, इश्क़ का, तौर बदल रहा है

हवा है कुछ ज़हरीली, पानी का रंग है मैला
मुँह में जाने वाला हर कौर बदल रहा है

शर्मिंदा सी कलियाँ, तितली है सहमी सी
बाग  उजड़ रहे हैं, बौर बदल रहा है

जानवर से इंसान, फिर जानवर से बदतर
अब कौन कसर है बाकी, जो और बदल रहा है? 
                                         
                                             (अनुराग शौरी)