जो टूट
सके, ना फूट
सके
यारों की तरह
ना रूठ सके
चाँदी की हवस
नहीं मुझको
पीतल का
इक खिलौना ला
दो
लिहाफ़ में हो
नींद नज़रबंद
तकिये में ख्वाबों
के पैबंद
मखमली नहीं, पत्थर
ही सही
तोहफे में इक
बिछौना ला दो
बिछड़े यारों के
संग गुफ्तगू
पहले प्यार
की पाक जुस्त्जू
नहीं ला
सकते तो इतना
करदो
हर दफ़्न
गुनाह, घिनौना ला दो
ना रिसे
कभी, ना सूखा
ही रहे
बस मुँह
बाए, भूखा ही
रहे
मेरे हिस्से
का ज़ख़्म, दर्द
बकाया
पूरा, आधा, पौना
ला दो
(अनुराग शौरी)
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